आज अखबार पर धूप का साया था
मगर गुड न्यूज़ भी लाया था
मानसून आने वाला है सून
पानी मिला है ऑन दा मून
दोनों खबर पढ़कर
दिल गार्डन गार्डन हो गया
किसी को हो न हो
चम्पू जी को सप्नेरिया हो गया
कल बादल छाएंगे
दुःख नहीं पानी बरसाएंगे
जब बाल्टी खाली होगी बादल की
चाँद पर जाकर नहायेंगे
चाँद के आँगन के तालाब में
कैसा नशीला पानी होगा
चाँद का गिलास होगा और
गिलास में चाँद दीखता होगा
सोच सोच कर चम्पू जी का मन
इधर उधर दोड़ने लगा
हाथ में पकड़ा था बादल
बूँद बूँद कर बरसने लगा