जाने क्यूँ सुबह सुबह लगा की आज मौन रखा जाए ... हंसिये मत ......ख्याल है ..कभी भी आ सकता है ... एक दिन नहीं बोलेंगे तो क्या होगा .... कुछ अच्छा ही होगा ... बोलने में कितनी एनर्जी वेस्ट करते हैं हम .... थोड़ी उर्जा ही बचा लेंगे ... कुछ सेविंग ही हो जाये ...
तो हम बिलकुल चुपचाप अपना काम किये जा रहे थे ... बिना बोले ...कोई कुछ भी बोले ... इशारों में जवाब ..... बेटे ने पुछा , मेरी ब्लेक टी शर्ट कहाँ है .,.. हाथों को गोल गोल घुमाकर बताया मशीन में धुल रही है ,....पति ने कहा , मेरी फ़ाइल नहीं मिल रही है ... एक ऊँगली उठाई ...अरे अरे आप क्या समझे ...? God ...! नहीं नहीं ... ऊँगली से इशारा करके बताया , फ़ाइल टेबल पर रखी है ... पूजा करने बैठी तो काम वाली बाई ने अनाउंस किया ...मेमसाब कल नहीं आउंगी ....
लो ... हो गयी छुट्टी ...
फिर भी खुद पर काबू रखते हुए मौन को कायम रखा ...और हाथ से ????? मार्क बनाते हुए पूछा क्यूँ ...?
कल मेरे बेटे का बर्थडे है ....
काँटा बाई , तुम भी न बस कितनी छुट्टी करती हो . ... अभी तो की ही थी ,... काम कौन करेगा ...
मेरा मौन धराशायी हो चुका था ...
ऐसी तैसी में गया मौन ...
सारा घर खुश .. हमारा मौन व्रत समाप्त हुआ ....
पर वो क्या जाने हमारे दिल की हालत ... हमारा सेविंग वाला डब्बा तो खाली ही रह गया ...
शब्द तो शोर हैं तमाशा है ,
भाव के सिन्धु में बताशा है ,
मर्म की बात होठों से न कहो ,.
मौन ही भावना की भाषा है ,
देह तो सिर्फ सांस का घर है ,
सांस क्या बोलती हवा भर है ,
अच्छा बुरा कुछ भी कहो .,
आदमी वक़्त का हस्ताक्षर है
29 comments:
अच्छा बुरा कुछ भी कहो .,
आदमी वक़्त का हस्ताक्षर है....
वाह कमाल की अभिव्यक्ति है,सुन्दर भावों की।वाह....
कामवाली बाई....मौन रहने देगी क्या? कभी नहीं .वह तो हर दिन एक दहशत देती है
हास्य के छींटे के साथ सुन्दर भाव की पंक्तियाँ। वाह।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
हास्य के छींटे के साथ सुन्दर भाव की पंक्तियाँ। वाह।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
शानदार प्रस्तुति!!
.
एक अपील:
विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.
हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.
-समीर लाल ’समीर’
waah aadmi waqt ka hastakshar hai..lajawaab
बहुत सुंदर
http://nanhen deep.blogspot.com/
http://adeshpankaj.blogspot.com/
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
पढ़कर मन प्रसन्न हो गया!
bahut hi behtareen rachna...
waah....
yun hi likhte rahein...
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mere blog mein is baar...
जाने क्यूँ उदास है मन....
jaroora aayein
regards
http://i555.blogspot.com/
कमाल की अभिव्यक्ति है,सुन्दर भावों की।वाह....
अच्छा बुरा कुछ भी कहो .,
आदमी वक़्त का हस्ताक्षर है
Bahut hi lajawaab likha hai ...ye bhi sach hai ki shabd bas shor hi hote hain ...
मर्म की बात होठों से न कहो
मौन ही भावना की भाषा है...
बहुत गहराई की बात कह दी आपने.
आपके लेखन के तरीके के तरीके को अभिभूत हूँ. बिना किसी तामझाम के सुन्दर सी हास्य रचना रच डाली. नाम बहुत सुना है पर ब्लॉग पर शायद पहली या दूसरी बार आ पाया हूँ.. क्षमा.
aadmi waqt ka hastakshar hai...
bs itne se alfaaz mei
jaane kyaa kuchh keh diyaa aapne
so...maun mt rahiye..
kehti rahiye
apne paathko ke liye bhi !!
जय हो कांता बाई की.....ऐसे मौन बड़े खतरनाक होते है जी......
@उड़न तश्तरी... समीर जी हिंदी हमारी अपनी भाषा है , हम अपनी मात्र भाषा में अपनी भावों को जितना अच्छी तरह से समझा पाते हैं शायद दूसरी किसी भाषा में नहीं ... और आप अपने देश से इतनी दूर रहकर भी हिंदी के प्रचार में लगे हैं , ये हमारे लिए अनुकरनीय है ...
@दीपक'मशाल' ..... दीपक जी, क्षमा वाली कोई बात नहीं है ... अब आप हमारे ब्लॉग पर आ गए हैं तो आगे भी आते रहिये ...
@मुफलिस .... हम चुप बैठने वालों में से नहीं हैं .. कभी अच्छा कभी खराब कहते सुनते रहेंगे ....
@डॉ. अनुराग ... मौन तो हमेशा भला ही करता है ...खतरनाक नहीं होता ....पर कोई मौन रहने नहीं देता ...शायद इसलिए लोग संन्यास ले कर जंगल चले जाया करते थे ....
सचमचु, आदमी वक्त का हस्ताक्षर ही तो है।
कैसे लिखेगें प्रेमपत्र 72 साल के भूखे प्रहलाद जानी।
ye panktiya tazee lagati hai...
lajawaab!
बहुत बढ़िया लिखा आपने...पसंद आई आपकी रचना.
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पाखी की दुनिया में- 'जब अख़बार में हुई पाखी की चर्चा'
मर्म की बात होठों से न कहो ,.
मौन ही भावना की भाषा है ,
अच्छा बुरा कुछ भी कहो .,
आदमी वक़्त का हस्ताक्षर है
कमाल की अभिव्यक्ति
शुभकामनाएँ.
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mere blog par meri nayi kavita,
हाँ मुसलमान हूँ मैं.....
jaroor aayein...
aapki pratikriya ka intzaar rahega...
regards..
http://i555.blogspot.com/
badiya hai ji...
शब्द तो शोर हैं तमाशा है ,
भाव के सिन्धु में बताशा है ,
मर्म की बात होठों से न कहो ,.
मौन ही भावना की भाषा है ,
...sunhale bhavon kee sundar prastuti ..
shubhkamnayne
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति.....
मौन की अपनी भाषा है...पर मौन रह कर भी काम नहीं चलता....कम से कम बाई तो मौन रहने ही नहीं दे सकती....:):)
मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया ...यहाँ भी देखें
http://gatika-sangeeta.blogspot.com/
http://geet7553.blogspot.com/
bahut din huye aapki rachna padhe...
intzaar hai...
maine bhi apni chhoti si kavita ki dukaan laga rakhi hai..
hahhahha..
jaroor aayein ..
maeri nayi kavita ko intzaar rahega aapka....
very nice.
sundar prastuti...
छोटी से हास्यास्पद
भगवान ने स्वचलित टेप रिकॉर्डर दिया है ना बोलने
खारब हो जावेगा
जैसे माई की छुट्टी की तरह
ye panktiyan aapki ain kya????????
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