अगले जनम में मिलने का वादा और
खुशबू में भरा ख़त मिला है मुझको
तेरे दर्द का दरिया पी जाऊं मै
अपने अन्दर समंदर मिला है मुझको
सूखे फूल किताबों में मिलें जैसे
हर बार ख्वाबों में मिला है मुझको
तारीख की निगाहों से छुप जायेंगे हम
प्यारा सा इकरार मिला है मुझको
खुद से ही मानूस न थे हम
तुमसे अपना हाल मिला है मुझको
इश्क कि बेवफाइयों से अनजान रहे
बेफिक्री से भरा जाम मिला है मुझको
रास्ता रास्ता ढूँढा किये हम
दिल में तेरा पता मिला है मुझको
11 comments:
मेरे लिए तो यह एक पहेली है कि आपने कलम से लिखा है या दिल से?.....
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विलुप्त होती... नानी-दादी की बुझौअल, बुझौलिया, पहेलियाँ....बूझो तो जाने....
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http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_23.html
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....
अगले जनम में मिलने का वादा और
खुशबू में भरा ख़त मिला है मुझको
बहुत सुंदर रचना जी.
धन्यवाद
तेरे दर्द का दरिया पी जाऊं मै
अपने अन्दर समंदर मिला है मुझको
kamaal ke ehsaas
अगले जनम में मिलने का वादा और
खुशबू में भरा ख़त मिला है मुझको...
उम्दा....’खुशबू’ ने महका दिया शेर को...
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति!
सारे बिम्ब बहुत पुराने हैं कुछ नये बिम्बों को लेकर रचना कीजिये । गज़ल अच्छी है ।
इश्क कि बेवफाइयों से अनजान रहे
बेफिक्री से भरा जाम मिला है मुझको
ये वाला बहुत बेहतरीन है.....
सारे बिम्ब बहुत पुराने हैं कुछ नये बिम्बों को लेकर रचना कीजिये । गज़ल अच्छी है
दिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........
wow yeh kya likha diya hai...
रास्ता रास्ता ढूँढा किये हम
दिल में तेरा पता मिला है मुझको ...खूबसूरत रचना ..बधाई
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