Tuesday, March 23, 2010

तुम मिलो तो सही ....


अगले जनम में मिलने का वादा और
खुशबू में भरा ख़त मिला है मुझको

तेरे दर्द का दरिया पी जाऊं मै
अपने अन्दर समंदर मिला है मुझको

सूखे फूल किताबों में मिलें जैसे
हर बार ख्वाबों में मिला है मुझको

तारीख की निगाहों से छुप जायेंगे हम
प्यारा सा इकरार मिला है मुझको

खुद से ही मानूस न थे हम
तुमसे अपना हाल मिला है मुझको

इश्क कि बेवफाइयों से अनजान रहे
बेफिक्री से भरा जाम मिला है मुझको

रास्ता रास्ता ढूँढा किये हम
दिल में तेरा पता मिला है मुझको

11 comments:

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

मेरे लिए तो यह एक पहेली है कि आपने कलम से लिखा है या दिल से?.....
..................
विलुप्त होती... नानी-दादी की बुझौअल, बुझौलिया, पहेलियाँ....बूझो तो जाने....
.........
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_23.html
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....

राज भाटिय़ा said...

अगले जनम में मिलने का वादा और
खुशबू में भरा ख़त मिला है मुझको
बहुत सुंदर रचना जी.
धन्यवाद

रश्मि प्रभा... said...

तेरे दर्द का दरिया पी जाऊं मै
अपने अन्दर समंदर मिला है मुझको
kamaal ke ehsaas

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

अगले जनम में मिलने का वादा और
खुशबू में भरा ख़त मिला है मुझको...
उम्दा....’खुशबू’ ने महका दिया शेर को...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति!

शरद कोकास said...

सारे बिम्ब बहुत पुराने हैं कुछ नये बिम्बों को लेकर रचना कीजिये । गज़ल अच्छी है ।

डॉ .अनुराग said...

इश्क कि बेवफाइयों से अनजान रहे
बेफिक्री से भरा जाम मिला है मुझको

ये वाला बहुत बेहतरीन है.....

संजय भास्‍कर said...

सारे बिम्ब बहुत पुराने हैं कुछ नये बिम्बों को लेकर रचना कीजिये । गज़ल अच्छी है

संजय भास्‍कर said...

दिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........

Harish Joshi said...

wow yeh kya likha diya hai...

विधुल्लता said...

रास्ता रास्ता ढूँढा किये हम
दिल में तेरा पता मिला है मुझको ...खूबसूरत रचना ..बधाई