Thursday, December 24, 2009

हैप्पी क्रिसमस ....



यूँ तो त्यौहार किसी विशेष उम्र से जुड़ा नहीं है .... पर बच्चों में इसके प्रति कितना लगाव है ये तो संता क्लाज़ की बढती लोकप्रियता से पता चलता है ... वैसे तो सारा जादू तो बाज़ार का चलाया हुआ है पर उसकी एक अच्छी बात यह है कि कोई भी फेस्टिवल किसी विशेष धर्म का होकर सभी का हो गया है .... बच्चे छोटे थे तो क्रिसमस स्पेशल सॉक्स दीवार पर लटकाया करते थे जिसका मतलब था संता क्लाज़ से प्रार्थना , गिफ्ट के लिए ...और सुबह को मिला करते थे गिफ्ट , उनके तकिये के नीचे ....बस बच्चों की ख़ुशी में हमारी ख़ुशी ....
कितना मासूम होता है बचपन .... ...और कितना शैतान भी....मगर जितना शैतान उतना दिल के करीब ....




वो बचपन नादान आवारा था ,
मगर फिर भी कितना प्यारा था....
धूप बातें करती थी
कमीज की बाँहें मोड़ कर ,
परछाईयां लम्बी होती जाती थी
शामों का हाथ पकड़कर ,
शैतान गलियों संग
फिरता मारा मारा था ,
वो बचपन नादान आवारा था .....
मीठी सुबहें चखते थे तो ,
दोपहर नमकीन हो जाती थी ,
माँ की आवाज में छोटी बहन तुतलाती थी ,
मार खा कर भी
पिता की आंखों का तारा था ,
वो बचपन नादान आवारा था ....
छूकर हमको छुप जाती थी ,
ऐसी खिलनदड हवाएं थी ,
आंखों पर पट्टी बाँध कर
ढूंढती हमें दिशाएँ थी ,
शहंशाह थे हम अपने दिल के
ताज हमारा , तख़्त हमारा था ,
वो बचपन नादान आवारा था...
होली दिवाली ईद क्रिसमस
सब पर गले मिलते थे ,
गोल गोल फिरकी बनकर
आँगन में नाचा करते थे ,
जेठ, शिशिर, माघ औ फागुन
हर मौसम हमको प्यारा था ,
वो बचपन नादान आवारा था.....



Sunday, December 6, 2009

एक नगमा गाने को जी करता है


ऐ रात उतर आ आखों में
सपने देखने को जी करता है ...
फूल , बाग़ और खुशबू बहुत देखी
समंदर , झील और नदिया भी देखी
रूप बदलते इंसान भी देखे
गले मिलते जमीन और आसमान भी देखे
तारों की डोली से उतरते चाँद देखे
ज़री वाले घर आँगन भी देखे
ढेर सी बातें करने को जी करता है ...
ऐ रात उतर आ आंखों में
सपने देखने को जी करता है ....
खिलखिला कर हंस देंगी खिड़कियाँ
दिल के दर खोल देंगी खिड़कियाँ
सीढियां टाप कर घर आ जाना
मेरे गालों पर फिसल जाना
पाकीजा हैं मेरी खूशबूयें
रंग भरती हैं कूचियाँ
फ़िर कसमे खाने को जी करता है ...
ऐ रात उतर आ आंखों में
सपने देखने को जी करता है ....
सरगोशियों से काम न चलेगा
तस्वीर से निकल कर आ जाना
चाँद की बरात सजी है
तुम भी सज संवर जाना
तारों से मांग भर लेना
अपना आँचल लहरा देना
प्यारा सा गीत गाने को जी करता है ....
ऐ रात उतर आ आंखों में
सपने देखने को जी करता है ....