Friday, February 26, 2010

बेईमान मौसम फागुन का ...

होली का मौका , रंगों की बहार , गुझियों की परात , खिले दिलों की सौगात , ठहाकों की झड़ी , हुल्लड़ और ढोल खोलो सबकी पोल .... पर बुरा मत मानो यार , ऐसा ही है रंगों का त्यौहार .... बिना तोले ही बोल "होली आई रे , सब पर मस्ती छाई रे "
बोल , बोल ...शर्माना कैसा ....दिल खोल के बोल " happy holi "......


रंग चुरा के मौसम फागुनी हो गया ,


टेसू खिल गए पवन बे इमानी हो गया


आँखें हैं या जुगनू चमकते हुए ,


इश्क का बादल रूमानी हो गया


फैलने लगा है प्यार का सैलाब ,


नफरत का दरिया पानी पानी हो गया


नाउमीदी के जहाँ से गुज़र कर आया था ,


गुलों की आहट से बागबानी हो गया


प्यार के बिना जीना कहाँ है मुमकिन ,


धरती का रंग भी आसमानी हो गया

10 comments:

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

रेनू जी आदाब

होली के खूबसूरत रंग बिखरे हैं आपके ब्लॉग पर..

बधाई...
होली की हार्दिक शुभकामनाएं

Udan Tashtari said...

बेहतरीन..रंग बिरंगी रचना..


होली मुबारक!

निर्मला कपिला said...

बहुत सुन्दर रंग बिखेरे हैं। होली की हार्दिक शुभकामनाएं

डॉ .अनुराग said...

होली की ढेरो शुभकामनाये इन रंगों के साथ

अजय कुमार said...

रंग भरी रचना ,बधाई

दिलीप कवठेकर said...

धरती का भी रंग आसमानी होना, प्रेम के रंग में रंगने का खूबसूरत खयाल है.

शरद कोकास said...

होली की शुभकामनायें

के सी said...

खिले हुए टेसुओं को देख कर पवन का बेईमानी हो जाना...
इन शब्दों ने होली में ओरिजनल रंग भरे हैं. शुभकामनाएं.

daanish said...

आँखें हैं या जुगनू चमकते हुए ,
इश्क का बादल रूमानी हो गया

waah...!!
rango ke tyohaar par
khoobsurat shabdoN ki
rangeen HOLI...!!

bahut prabhaavshali rachnaa .

पूनम श्रीवास्तव said...

lajawab,rango ki saarthkta batalati hui ..aapane holi ka maza duguna kar diya.rang birange pankatiyonse sazi holi ki is sundar rachana ke badhi bhi swikaren
poonam