बोल , बोल ...शर्माना कैसा ....दिल खोल के बोल " happy holi "......
रंग चुरा के मौसम फागुनी हो गया ,
टेसू खिल गए पवन बे इमानी हो गया
आँखें हैं या जुगनू चमकते हुए ,
इश्क का बादल रूमानी हो गया
फैलने लगा है प्यार का सैलाब ,
नफरत का दरिया पानी पानी हो गया
नाउमीदी के जहाँ से गुज़र कर आया था ,
गुलों की आहट से बागबानी हो गया
प्यार के बिना जीना कहाँ है मुमकिन ,
धरती का रंग भी आसमानी हो गया
10 comments:
रेनू जी आदाब
होली के खूबसूरत रंग बिखरे हैं आपके ब्लॉग पर..
बधाई...
होली की हार्दिक शुभकामनाएं
बेहतरीन..रंग बिरंगी रचना..
होली मुबारक!
बहुत सुन्दर रंग बिखेरे हैं। होली की हार्दिक शुभकामनाएं
होली की ढेरो शुभकामनाये इन रंगों के साथ
रंग भरी रचना ,बधाई
धरती का भी रंग आसमानी होना, प्रेम के रंग में रंगने का खूबसूरत खयाल है.
होली की शुभकामनायें
खिले हुए टेसुओं को देख कर पवन का बेईमानी हो जाना...
इन शब्दों ने होली में ओरिजनल रंग भरे हैं. शुभकामनाएं.
आँखें हैं या जुगनू चमकते हुए ,
इश्क का बादल रूमानी हो गया
waah...!!
rango ke tyohaar par
khoobsurat shabdoN ki
rangeen HOLI...!!
bahut prabhaavshali rachnaa .
lajawab,rango ki saarthkta batalati hui ..aapane holi ka maza duguna kar diya.rang birange pankatiyonse sazi holi ki is sundar rachana ke badhi bhi swikaren
poonam
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