आशाओं का दीप जलता हो ,
आकान्शाओं का फूल खिलता हो ।
नज़रों से प्रेम झलकता हो ,
प्यार का गुलशन महकता हो ।
ह्रदय सुमन फ़िर खिलते हों ,
बच्चे हरदम हँसते हों ।
खेतों में बस्ती हरयाली हो ,
घर घर में चहकी खुशहाली हो ।
कार्मुक वहां पर बनते हों ,
महि गगन जहाँ पर मिलते हों ।
दुश्मनी की न बात हो ,
एकता का काव्य पाठ हो ।
प्यारा सा एक जज्बा हो ,
माटी पर तन मन वारा हो ।
दिलों में तिरंगे की तस्वीर हो ,
हर बच्चा इसकी तदबीर हो ।
फ़िर से ये आह्वान हो ,
देश की ऊँची शान हो ।
जन जन फ़िर जाग्रत हो ,
उन्नत सम्रध मेरा भारत हो ।
कल से संवत २०६६ शुरू हो रहा है । सभी पाठकों को नव वर्ष की शुभकामनाएं ।
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