सुबह सुबह अखबार में ब्लॉग के बारे में
पढ़कर महसूस हुआ क्यूँ न में भी
पहला काम नाम क्या दूँ
फिर सोचा थीम क्या होगी, लिखूंगी क्या
बहुत नामों पर दिमाग घूमा कभी ये, कभी वो ....
फिर दिल ने कहा यह ठीक है....
पुखराज
यह मेरा पहला पोस्ट है तो बात
की जाय समय की ....
शुरुआत करते हैं यहाँ से
बुद्धू बक्से के छोटे परदे से
आसमान पे एक धब्बा उभरा
कुछ लकीरों से शुरू होकर
भाग्य चक्र में बदला
कुछ आँखे फिर चेहरे उभरे
कुछ खामोशी के बाद आवाज़ आई
मै समय हूँ.....
अरे...
तुम समय हो ...
तुम्हे तो कबसे ढूँढ रहे थे
बोलो अब तक कहाँ थे
आजकल बसेरा कहाँ करते हो
तुम्हारे आने जाने का रास्ता कौन सा है
किसके साथ उठते बैठते हो
सवालों पर सवाल
इंसानी फितरत
पर समय
गुमसुम और बेखयाल
परछाई तुम्हारी बन कर रहता था
प्रतीक्षा तुम्हारी करता था
रात रात भर जाग कर
सुबह से बातें करता था
मै तो हमेशा यहीं था
तुम ही नही थे ....
प्रतीक्षा में तुम्हारी थक गया हूँ
सूनी दीवारों के बीच मर गया हूँ
आज आए हो मुझसे पूछने
मै कहाँ था
तब तुम नही थे
अब मै नहीं हूँ
अब में कहीं नहीं हूँ
सबको मेरी ज़रूरत है
पर अब मै किसी के पास नही हूँ
तुमने मेरी हत्या की है
अब मै कहीं नहीं हूँ .....
बुद्धू बक्से के छोटे परदे से
आसमान पे एक धब्बा उभरा
कुछ लकीरों से शुरू होकर
भाग्य चक्र में बदला
कुछ आँखे फिर चेहरे उभरे
कुछ खामोशी के बाद आवाज़ आई
मै समय हूँ.....
अरे...
तुम समय हो ...
तुम्हे तो कबसे ढूँढ रहे थे
बोलो अब तक कहाँ थे
आजकल बसेरा कहाँ करते हो
तुम्हारे आने जाने का रास्ता कौन सा है
किसके साथ उठते बैठते हो
सवालों पर सवाल
इंसानी फितरत
पर समय
गुमसुम और बेखयाल
परछाई तुम्हारी बन कर रहता था
प्रतीक्षा तुम्हारी करता था
रात रात भर जाग कर
सुबह से बातें करता था
मै तो हमेशा यहीं था
तुम ही नही थे ....
प्रतीक्षा में तुम्हारी थक गया हूँ
सूनी दीवारों के बीच मर गया हूँ
आज आए हो मुझसे पूछने
मै कहाँ था
तब तुम नही थे
अब मै नहीं हूँ
अब में कहीं नहीं हूँ
सबको मेरी ज़रूरत है
पर अब मै किसी के पास नही हूँ
तुमने मेरी हत्या की है
अब मै कहीं नहीं हूँ .....
1 comment:
good step....
ek nai shruaat..PUKHRAAAJ
Hamesha Raaj Karo
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