Sunday, March 6, 2011


त्रिवेणी
-----------

१.... आड़ी तिरछी रेखाओं में ,
रंग उभरे नहीं अभी तक,
अधूरे कैनवास पर प्यार लिख गया कोई .....
२.... कैसे कैसे वादों से मिलकर ,
रेत की दीवारें खड़ी की हैं,
आंसू गिरा गर कोई , बिखर जायेंगी .....
३... सुख बांटा जो अपना , दुःख पाया ,
लोग लगे जलने ,
तन्हाईयाँ मिली गर दुख बांटा अपना .....
४... मंजिल पाने की चाहत मत पालो ,
राहों पर निगाह डालो ,
कोई ख्वाब मचल रहा हो शायद .....
५... आज फिर छत्त पर मोर नचा है ,
आसमान पर बादलों का पहरा है ,
दामन फैलाऊं तो बरसात हो शायद .....
६... महक उसकी छू गयी मुझको ,
रंग ही रंग बिखरा गयी अब तो ,
देखें जिन्दगी कितनी दूर लेकर जायेगी ....
७... गुमनाम को नाम दिलाकर ,
मुझसे मेरी पहचान करा दी ,
फिर कीमियागर को परस मिल गया कोई .....
८... कल मिटटी से पैदा हुआ था ,
कल मिटटी में ही मिल जाना है ,
आज भी अपनी जड़ों को ढूँढता है दिल ......
९... दिन रात सींचा करते है लम्हों का पेड़ ,
फल पककर टपक जाता है खुद ही ,
देखो कच्चा पल न तोडना डाल से .....
10... चाँद , रात और आसमान ,
एक त्रिवेणी वहां भी है ,
एक त्रिवेणी यहाँ भी चाहिए ,......

11 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सभी त्रिवेणियाँ सार्थक और सटीक हैं!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

. कैसे कैसे वादों से मिलकर ,
रेत की दीवारें खड़ी की हैं,
आंसू गिरा गर कोई , बिखर जायेंगी .....

सारी त्रिवेणियाँ बहुत अच्छी लगीं ..

Harish Joshi said...

adbhut, akalpniye....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 08-03 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

http://charchamanch.uchcharan.com/

Udan Tashtari said...

बहुत ही शानदार

धीरेन्द्र सिंह said...

बादलों की बीच रह-रह कर टिमटिमा उठनेवाले तारे की तरह संवेदनाएं भी चमकी हैं और खूबसूरती से अपनी गहनता संग त्रिवेणी में ढल गई हैं।

दिगम्बर नासवा said...

मंजिल पाने की चाहत मत पालो ,
राहों पर निगाह डालो ,
कोई ख्वाब मचल रहा हो शायद .


बहुत खूब ... हर त्रिवेणी लाजवाब .... ये खास पसंद आई ...

Kailash Sharma said...

कैसे कैसे वादों से मिलकर ,
रेत की दीवारें खड़ी की हैं,
आंसू गिरा गर कोई , बिखर जायेंगी .....

हरेक त्रिवेणी लाज़वाब..बहुत सार्थक और मर्मस्पर्शी..

sumeet "satya" said...

Bahut Sundar abhivyakti...
मंजिल पाने की चाहत मत पालो ,
राहों पर निगाह डालो ,
कोई ख्वाब मचल रहा हो शायद .....

sherry said...

ye pukhraaj apni chamak kho raha hai...issse zaaari rakhein

Udan Tashtari said...

दो महिने से कोई अपडेट नहीं?? सब ठीक ठाक तो है...