Monday, March 15, 2010

और कितने ताजमहल ...

दीदी,,.... " म्हारे पैसे मिल जाते तो यूँ काम अधूरा छोड़कर जाने कि जरुरत न होती"
" पर के करूँ , पैसे भी म्हारे और .... "
कहते कहते रूक गयी और अपने बेटे, जो कि उसके पल्लू को पकडे मुझसे छुपने कि कोशिश कर रहा था , के सर पर हाथ फिराने लगी ....
" अरे ! बता तो क्या हुआ ...?
" क्या बताऊ दीदी , पैसे भी म्हारे , पण म्हारे काम न आये , .... हमने तो उधार भी न मांगे थे ... "
फिर गहरी सांस लेते हुए अपने बेटे को देखने लगी ....कुछ देर रूक कर बोली ...
" ये तो म्हारा जी ही जाने है , सचिन को हस्पताल में भरती किया तो कौन कौन से उधार लेकर हस्पताल का बिल भरा "
बस अब न .....
" अब तो यहाँ जी न लग रा... अपना घर उजाड़ के बस्ती न बनानी है ..... रोड़ी - बजरी से खेले है म्हारे बच्चे पर जान तो उनमे भी है ....सेठों के रहने के वास्ते कोठियां ही कड़ी करनी है न , जो पैसे देगा उसका महल बना ही देंगे .... "
"कंही भी जायेंगे काम तो मिल ही जाएगा |" " इन वाले लाला से हमें कुछ न चाहिए ... बस जा रहे हैं कल .... "
कहकर शांति अपनी मैली धोती के पल्लू से अपने बेटे के मुंह पर लगी रेत पोछने लगी ... मै सोच रही थी , अभी कितने शहंशाह अपने ताजमहल बनाकर कारीगरों के हाथ कटवाएँगे ....?






और सोचने को बाकी क्या रहा

सूरज भी उसको ढूंढ कर वापस चला गया ,
अब हम भी घर को लौट चलें शाम हो चुकी ....

हाल पूछा था उसने अभी ,
और आंसू रवां हो गए ...

12 comments:

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

मार्मिक....ऐसा बहुत लोग कर गुज़रते हैं
जो इतनी बड़ी ज़रूरत के समय भी मदद तो दूर.. मज़दूरी तक नहीं देते.....
प्रभावशाली प्रस्तुति....बधाई.

शरद कोकास said...

बहुत अच्छी लघु कथा ।

Udan Tashtari said...

बेहतरीन लेखन और अच्छी कथा.

अजय कुमार said...

शोषण की मार्मिक दास्तां

डॉ .अनुराग said...

जहां हर दिन एक जिजीविषा है......

रश्मि प्रभा... said...

dard ko jivant kar diya is katha ke madhyam se.....

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

BAL SAJAG said...

jab tak in shanshaho ke khilaf ham awaj nahi uthayeneg... tab tak....
bahuat hi maramik aur jiwant rachana hai....

ghughutibasuti said...

बहुत बढ़िया।
घुघूती बासूती

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर दिया आपकी इस पोस्ट ने---हृदयस्पर्शी रचना।

दिगम्बर नासवा said...

दिल को छूती हुई लघु कथा ...... बहुत अच्छी लगी ....

Unknown said...

DI though mujhe bahut samajh nahi hai but ur lekhni is too good...