तुम बिन जीना भी है मुश्किल
और मरना भी कहाँ है आसां ,
रास्ते जुदा हो जायेंगे मगर
फासले आ न सकेंगे दरमियाँ
रहगुज़र तुम बिन न होगी मुकम्मिल
हासिल न होंगे मंजिल के निशान ,
जमीन अपनी धुरी बदल दे चाहे
चाँद लेता रहेगा आसमान की पनाह
आरजुएं तुमने जगा दी दिल में
दास्ताँ कहती रहेगी अब शमा ,
हाथों में तेरा नाम न था मगर
तकदीर हम पर हो गयी मेहरबां
11 comments:
वाह जी बहुत सुंदर.
हाथों में तेरा नाम न था मगर
तकदीर हम पर हो गयी मेहरबां
-बहुत बढ़िया.
kya likh diya hai apne.. ultimate...
Nishabd kar diya.. meri kalam ko
तुम बिन जीना भी है मुश्किल
और मरना भी कहाँ है आसां ,
बहुत बडिया रचना है धन्यवाद शुभकामनायें
Bahut bhadiya rachana, bahut gahre bhav pad kar bahut accha laga .....Aabhar!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
तुम बिन जीना भी है मुश्किल
और मरना भी कहाँ है आसां ,
रास्ते जुदा हो जायेंगे मगर
फासले आ न सकेंगे दरमियाँ
अच्छा लिखा है .... कुछ भी आसान नही होता उन के बिना ..... १०० प्रतिशत सच ........
तुम बिन जीना भी है मुश्किल....
चाँद लेता रहेगा आसमान की पनाह ...
हाथों में तेरा नाम न था मगर
तकदीर हम पर हो गयी मेहरबां
सुन्दर शब्दों को संजोकर पेश करना एक कला है.
और वो आपकी रचना में साफ़ झलक रहा है
अति भावपूर्ण रचना...बधाई...
नीरज
रचना के भाव दिल के करीब जाने पड़ते हैं. एक अच्छी रचना पढने को मिली
samvedanshil kahunga is rachanaa ko ... behad prabhaavi..
arsh
इतना दर्द कह से लाये दोस्त !
कुछ सुबह की कुछ रौशनी की भी बात करे न !
bahut feeling hai ! Thanks.
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