Saturday, October 10, 2009

दीवाली



जाने क्यूँ लगा है मुझे
कि आज दीवाली है ...
फ़िर कोई राम यहाँ
शायद आने वाला है ...
जिसके लिए घर आँगन
अपनी अट्टालिकाओं पर
दीपमालाएं सजाकर
चहक उठे हैं ...
जिनकी राहों में
बिछे हैं फूल सुगंध ...
लोगों की आस भरी
पलकें बिछी हैं ...
ढह जाएँगी मगर
उमीदों की दीवारें तब ...
फ़िर भेष बदलकर
रावन खड़ा होगा जब ....

22 comments:

मनोज भारती said...

दीवाली की शुभकामनाएँ ।

सागर said...

पर मेरा मन तो आज बहुत उदास है... कहीं से नहीं लग रहा की आज दिवाली है...

डॉ .अनुराग said...

यूं भी रावण मौजूद है कितनी जुदा जुदा शक्लो में /कितने मनो के भीतर /कितने सालो से /रावण तो अमर है /सुना है राम तब से वनवास में है

अपूर्व said...

इंतजार की एक शिद्दत सीहै इस कविता मे जिसे दीवाली जैसे त्योहारों का कर्ब पा कर बस गहराना ही है..बधाई

Anonymous said...

Festival Celebration
Happy Deepawali...
Rawal will kill everytime....
Satyamev Jayate...

रानी पात्रिक said...

दीपावलि की बधाई।
राम और रावण दोनों ही मन के अन्दर हैं। राम को अपनाओ तो मन खुशियों से भर जाता है और कही रावण को अपना लिया तो निराशा ही निराशा नज़र आती है। दिन वही होता है, परिस्थितियाँ वही रहती है, बस मन की सोंच का अन्तर रहता है।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

सुंदर.

Udan Tashtari said...

दीपावली की शुभकामनाएँ.

बहुत सुन्दर तस्वीर है.

रचना के बारे में तो क्या कहूँ..हमें भी इन्तजार है एक राम का.

दिगम्बर नासवा said...

सच है ........ आज gali gali में raavan ghoom रहे हैं .......... raam तो bahoot मुश्किल से ...... शायद diwaali के aas पास ही milte हैं वो भी prateekon के maadhyam से ............ behad prabhaavi rachna है apki ........

M VERMA said...

ढह जाएँगी मगर
उमीदों की दीवारें तब ...
फ़िर भेष बदलकर
रावन खड़ा होगा जब ....
बहुत सुन्दर रचना
, रावण अब तो भेष भी नही बदलते यूँ ही आ खडे होते है.

Dr. Amarjeet Kaunke said...

bahut pyari kavita hai...apne to mith ko hi ulta dia...bahut khub....

निर्मला कपिला said...

ढह जाएँगी मगर
उमीदों की दीवारें तब ...
फ़िर भेष बदलकर
रावन खड़ा होगा जब ....
बहुत सुन्दर रचना
सच मुच पुखराज का पीस है ये बधाइ

अजय कुमार said...

raavan Ram ka bhesh badalkar aa rahe hain

ज्योति सिंह said...

kalyug ke ravan satyug se bhi aage hai .ab to sadharn logo ki soch bhi kuchh is tarah hai ----tum satyug ki sita nahi ban sakti ,main ramayan ka ram nahi ,
ye kalyug hai satyug nahi .har pal ki ladai ......

ज्योति सिंह said...

rachna sundar hai aur bhav umda .

ओम आर्य said...

RACHANAA BEHAD BHAW PURN OUR SHABD CHITRAN KHUBSOORAT HAI ........RAWAN AAJ BHI JINDA HAI PAR RAM NA JANE KOUN SE WAN ME...........

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर भाव है, लेकिन रावण से केसा डर, जब आये तो उस से लडो राम बन कर. धन्यवाद

Renu goel said...

राज जी , हमारे भीतर का भय ही सबसे बड़ा रावण है ...जिससे हर इंसान हर वक़्त लड़ता रहता है ...परिस्थितियों पर हमारा वश ही कब चलता है ....इंतज़ार तो बस राम का है ...
समीर लाल जी को भी इंतज़ार है राम का ...समीर जी रचना पसंद करने का शुक्रिया ...रचना के साथ दिखयी गयी तस्वीर पिछले साल दिवाली के अवसर पर बनायीं मेरी रंगोली की है जो मैंने अपने द्वार पर बनायीं थी ...पसंद करने का धन्यवाद ....
रावन वो नेक ब्रह्मण था जो अपने अंहकार के वशीभूत होकर बुराईओं का प्रतीक बन गया ....दिवाली पर राम की पूजा करते हुए भी रावन को कोई नहीं भूलता ...ऐसा क्यूँ है ...इस केरेक्टर पर बहुत कुछ लिखा ....इसमें से एक प्रोपर्टी एक्सपर्ट में प्रकाशित भी हुआ ...नेक्स्ट पोस्ट में आपके पढने के लिए यहाँ भी उपलब्ध ....

ओम आर्य said...

बढ़ा दो अपनी लौ
कि पकड़ लूँ उसे मैं अपनी लौ से,

इससे पहले कि फकफका कर
बुझ जाए ये रिश्ता
आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !
दीपावली की हार्दिक शुभकामना के साथ
ओम आर्य

Alpana Verma said...

Sundar prastuti..
एक बरस बीता कर दीवाली आई है,इसी शुभ अवसर पर आप सभी को दीवाली की ढेर सारी शुभकामनायें.
ईश्वर करे हर ओर रोशनी केवल इस एक दिन नहीं ,हर दिन रोशनी हर घर आँगन में ऐसे ही जगमगाती रहे.

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत सुन्दर...

प्रकाश गोविंद said...

बहुत सुन्दर रचना
बहुत सारगर्भित सन्देश

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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