जब तुमने छुआ था
होठों पे वो अहसास बाकी है आंखों में तुम्हारी मुहब्बत का
नशा अभी बाकी है
ये सफर तनहा तय होता नहीं
रास्ता अभी बाकी है
ख्वाब में देखी थी जो
वो मुलाक़ात अभी बाकी है
जिस चांदनी में नहाये थे कभी
वो खुशबू अभी बाकी है
तुम्हारे आने से बिखरे थे जो
फिजाओं में वो रंग बाकी है
दिल पर तुम्हारी नज़रों का
जादू अभी बाकी है
14 comments:
आप की कविता का जादू अभी बाकी है,
बहुत ही सुंदर कविता कही आप ने,
बेहतरीन एहसास की कविता
भावपूर्ण कविता ..!!
बहुत खूबसूरत
लगता है अब स्वास्थ्य के साथ भीतर की कविता भी उर्जावान हो गयी है.
अच्छी लगी ....भली सी .कविता .....
...
"उस मोड़ से अजनबी सी लगी थी जिंदगी
इस मोड़ पे भी कोई पहचान का नही मिलता"
बहुत सुन्दर कविता है...
bahu......................ut
hi zya....a.a.a.aa.a..da
khubsoo......orat
श्रृंगार रस केवल स्वपनदृष्टा मन से ही उत्पन्न हो सकता है.
बहुत ही लाजवाब रचना, बहुत-बहुत बधाई। नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें.......
अरे जादू......तो क्या मैं जादू पढ़ रहा था....नहीं..नहीं देख रहा था.....अरे नहीं..नहीं....पढ़ रहा था....अरे नहीं भाई...देख रहा था....अरे...बस...बस...बस....ओह आप ही बताईये ना....कि मैं क्या कर रहा था.....इस तरह मेरी बेचारगी का मज़ा लिए जा रही हैं.....!!!!!
puraani yaadoN ka zakheera smete hue
ek jani-pehchaani apni-si kavitaa
dil ki baateiN...dil se...dil tk...
waah !!
renu ji bas itana kahna chahunga ki " hamare ahsason ko apne shabd de diye hain
आपकी कविता पढ़ी, पसंद आई, एक सलाह देना चाहता हूँ, लिखिए वो जो इस युग में नजर आता हो. प्यार कहीं दिखाई तो नहीं देता. फिर जब सारे रिश्ते पैसे से तोले जा रहे हों, आतंकवाद, अलगाववाद, जातिवाद, भाषा, धर्म, सम्प्रदाय सर चढ़कर बोल रहे हों, आप ऐसे समय में इस कविता का औचित्य स्वयं सोचें. पीने को शुद्ध जल, सांस के लिए आक्सीजन तक उपलब्ध नहीं है, माएं जन्म देकर नवजात को त्याग रही हैं, पति-पत्नी के रिश्ते भी दहेज़ की बुनियाद पर खड़े हों, ऐसे में ऐसी रचना!!!
आपको बुरा जरूर लगा होगा. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया और ज्ञान बघारने लगा. वह भी तब जब आप मेरे ब्लॉग पर प्रशंसा कर आये. बुरा लगा हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ, ऐसी सूरत में इस कमेन्ट को डिलीट कर दीजियेगा. शुक्रिया मुझे पढ़ने और कमेन्ट देने के लिए.
एक सुंदर भावपूर्ण कविता
प्रेम ही सब समस्याओं का हल है
प्रेमपूर्ण ह्रदय में ही समाधान के फूल खिलते हैं
प्रेम के गीत गाना और अपने भावों को अभिव्यक्ति देना संवेदनशील ह्रदय ही कर सकता है ...और आज के युग में सबसे ज्यादा जरूरत है संवेदनशील ह्रदय की .
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