सुबह से अपनी तैयारी करते करते कब दस बज गए ... मिसिस गुप्ता को पता ही नहीं चला ... घडी देखी तो भागी नहाने .... फटाफट रेडी हो कर आईने के सामने खडी हो गयी ... अपने छोटे छोटे बालों को संवार कर दोनों हाथों में चूडियाँ पहनी ... सेंडल पहने ... लो जी .. रेडी ... चलें ... खाना तो वह लेकर जायंगे ही ...
घर लौक कर दिया ... बस आने ही वाली है क्लब की और भी सदस्याएं .... तभी दूर से गाडी आती हुयी नज़र आ गयी ... चलो जी आ गयी .... राईट टाइम ....
हाय .... हेल्लो हुयी और सब चल दिए ...
आश्रम में इस बार पांच महिलाए और चार पुरुष हैं .. पिछली बार बारह लोग थे पांच लोगो की म्रत्यु हो गयी थी ...
दो लोग नए आ गए हैं .... खन्ना अंकल भी दिखयी नहीं दे रहे ... उनके रूम पार्टनर बैठे हैं .. दो कदम ही आगे बढ़ पायी होंगी कि मिसिस गुप्ता के कदम रुक गए .... वो आगे न बढ़कर पीछे बैठी आंटी से बातें करने लगी .... बातें तो कर रही थी पर कनखियों से उन्ही अंकल को देख रही थी मिसिस गुप्ता ...जैसे पहले से उन्हें जानती हों... उन्हें नज़रें बचाते देख अंकल भी अपने रूम में चले गए जैसे उन्हें इस सेवा कार्य से नफरत हो या वो उन कनखियों से देखती आंखों का सामना करने में स्वयं को अक्षम पा रहे हों ... जिस बहु ने उन्हें घर में रखकर उनकी सेवा करने से मना कर दिया था उसी बहु को यहाँ शर्मिंदा नहीं होने देना चाहते थे |