धुआं धुआं हो गयी नज़र
तेरे इंतज़ार को पाले ने मारा है ,
एक ज़लज़ला उठा है फिर
मलबे तले जीवन हारा है ,
अंतहीन तलाश है जाऊं कहाँ
लोग कहते हैं नाकारा है ,
तेरी यादों को भूलने के दर्द ने
लकीरों में तेरा नाम उभारा है ,
सांसों को धड़कन की फ़िक्र है
तभी तो तुम्हारा नाम पुकारा है ,
फलसफा तेरी मोहबत्त का
आईने पर पत्थर मारा है ,
सांसें थामने की कोशिश भर
सुबह पे अँधेरा फिसला है ,
औंधे मुंह सुबह लौटी है
आरिज़ पर सन्नाटा बिखरा है ,
ज़ख्म सूख ही जायेंगे
वक़्त रेत पर फिसला है
23 comments:
धुआं धुआं हो गयी नज़र
तेरे इंतज़ार को पाले ने मारा है ,
एक ज़लज़ला उठा है फिर
मलबे तले जीवन हारा है , ...
पूरी नज़्म बहुत बढ़िया है!
खूबसूरत नज़्म...
बहुत देर से पढ़ रहा हूँ,कै बार पढ़ चुका हूँ,हर बार यही ख्याल आया है मन में...
सुन्दर अभिव्यक्ति....
कुंवर जी,
waah lajawaab bahut sundar bahut khoob bahut badhiya...
सांसों को धड़कन की फ़िक्र है
तभी तो तुम्हारा नाम पुकारा है ...
लाजवाब नज़्म है ... उनके नाम से ही तो दिल धड़कता है .. बहुत खूब ...
अंतहीन तलाश है जाऊं कहाँ
लोग कहते हैं नाकारा है ,
तेरी यादों को भूलने के दर्द ने
लकीरों में तेरा नाम उभारा है ,
लकीरों को पढने की कोशिश ने
एक बार फिर हमारा दर्द उभारा है,
सोचा की कुछ नहीं पास मेरे
देखा तो सारा जहाँ हमारा है...
ग़ज़ब है, कमाल है, वबाल है
waah
आपके ब्लॉग पर प्रथम बार आना हुआ , बहुत गहराई और सुन्दरता से भरा लेखन मिला ,,बधाई
बहुत सुंदर गजल आप से एक निवेदन है ... आप इस विजेट को बन्द कर दे जिस पर जगजीत सिंह के गीत चलते है, हम रात के समय भी ब्लांग पर जाते है तो उस समय बच्चे सोये होते है, ओर फ़िर इतनी तेज आवाज से वो जाग जाते है, इसे बन्द करते करते भी, अगर इसे लगाना ही है तो आवाज बन्द रखे जिस ने सुनाना है वो खुद चला लेगा
बेहतरीन नज़्म ! बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति ! बधाई !
जिंदगी के अनुभवों को बहुत सलीके से बयाँ किया है आपने। बधाई।
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रूपसियों सजना संवरना छोड़ दो?
मंत्रो के द्वारा क्या-क्या चीज़ नहीं पैदा की जा सकती?
बहुत सुंदर. सीधे हाथ लगा डांस करता विजेट भी बहुत अच्छा लगा.
नज़्म बहुत बढ़िया है!
पुखराज अब अपने नए रूप में ..
मेरी पसंद वाला विजेट भी हटा दिया गया है ....
राज भाटिया जी अब आपकी शिकायत दूर हो गयी होगी ...
प्रशंसनीय ।
ज़ख्म सूख ही जायेंगे
वक़्त रेत पर फिसला है
बहुत खूबसूरत नज़्म...बधाई।
nice
धुआं धुआं हो गयी नज़र
तेरे इंतज़ार को पाले ने मारा है !!!
वाह...बेहद खूबसूरत रचना....
ज़ख्म सूख ही जायेंगे
वक़्त रेत पर फिसला है वैसे तो पूरी नज्म ही खूबसूरत है लेकिन इन पंक्तियों का जवाब नहीं।
very good.
Koi Art movie jaisi aapki rachna, jitni samajh aayee achhi lagi....
बेहतरीन नज़्म !
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