बोल , बोल ...शर्माना कैसा ....दिल खोल के बोल " happy holi "......
रंग चुरा के मौसम फागुनी हो गया ,
टेसू खिल गए पवन बे इमानी हो गया
आँखें हैं या जुगनू चमकते हुए ,
इश्क का बादल रूमानी हो गया
फैलने लगा है प्यार का सैलाब ,
नफरत का दरिया पानी पानी हो गया
नाउमीदी के जहाँ से गुज़र कर आया था ,
गुलों की आहट से बागबानी हो गया
प्यार के बिना जीना कहाँ है मुमकिन ,
धरती का रंग भी आसमानी हो गया