Friday, February 26, 2010

बेईमान मौसम फागुन का ...

होली का मौका , रंगों की बहार , गुझियों की परात , खिले दिलों की सौगात , ठहाकों की झड़ी , हुल्लड़ और ढोल खोलो सबकी पोल .... पर बुरा मत मानो यार , ऐसा ही है रंगों का त्यौहार .... बिना तोले ही बोल "होली आई रे , सब पर मस्ती छाई रे "
बोल , बोल ...शर्माना कैसा ....दिल खोल के बोल " happy holi "......


रंग चुरा के मौसम फागुनी हो गया ,


टेसू खिल गए पवन बे इमानी हो गया


आँखें हैं या जुगनू चमकते हुए ,


इश्क का बादल रूमानी हो गया


फैलने लगा है प्यार का सैलाब ,


नफरत का दरिया पानी पानी हो गया


नाउमीदी के जहाँ से गुज़र कर आया था ,


गुलों की आहट से बागबानी हो गया


प्यार के बिना जीना कहाँ है मुमकिन ,


धरती का रंग भी आसमानी हो गया

Wednesday, February 17, 2010


हमारा प्यार
किसी मेज पर रखा
कोई
कांच का गिलास नहीं ,
जो हवा के झोंके से
गिरकर टूट जायेगा ....
हमारा प्यार
आसमान का
वो सूरज भी नहीं
जो शाम ढले
नदी में गिरकर
बुझ जायेगा ...
हमारा प्यार
वो बरसाती नदी भी नहीं
जो बरसात में बहे
और घाम में
जिसके प्यार की धारा
सूख जाएगी ...
हमारे रिश्ते ने
बोया है एक बीज
जिसे प्यार की नमी से
हमने सींचा है मिलकर
और अब
येपौधा बन कार
लहराता है
हवाओं संग बातें करता है
बस
इसे खाद पानी देते रहना ...


Saturday, February 6, 2010

तुम बिन ...



तुम बिन जीना भी है मुश्किल


और मरना भी कहाँ है आसां ,


रास्ते जुदा हो जायेंगे मगर


फासले आ न सकेंगे दरमियाँ


रहगुज़र तुम बिन न होगी मुकम्मिल


हासिल न होंगे मंजिल के निशान ,


जमीन अपनी धुरी बदल दे चाहे


चाँद लेता रहेगा आसमान की पनाह


आरजुएं तुमने जगा दी दिल में


दास्ताँ कहती रहेगी अब शमा ,


हाथों में तेरा नाम न था मगर


तकदीर हम पर हो गयी मेहरबां