सुलग रहा है दिल उठ रहा है धुआं
दरवाजा खोल दे या आग बुझा दे यारां
मुफलिसी के दोरों से गुजरता चला गया
सोना , पाना अच्छा न था और खोना बुरा यारां
सच्चे दिल की दुआ कुबूल होती है
सजदे में सर झुके या हाथ उठें यारां
चौखट का दिया हूँ रौशनी कर ही जाऊंगा
चाँद लम्हों की मोहलत तो दे मुझे यारां
मुरीद हूँ आसमान का मै भी चाँद की तरह
कि झील में गिरकर भी बुझता नही यारां
सर उठा कर लहरों ने मदद को पुकारा था
किनारे पर आकर दम तोड़ गयीं यारां
25 comments:
बेहद खूबसूरत व दिल से लिखी गयी लाजवाब रचना। बहुत-बहुत बधाई
वाह...
रेणु दीपक् जी आपने तो बहुत सुन्दर रचना पेश की है।
बधाई!
चौखट का दिया हूँ रौशनी कर ही जाऊंगा
चन्द लम्हों की मोहलत तो दे मुझे यारां
बहुत खूबसूरत एहसास और अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर
चंद लम्हों की मोहलत तो दे मुझे यारां
मुरीद हूँ आसमान का मै भी चाँद की तरह.
क्या बात है ... शाम हसीन हुई !
सजदे में सर झुके या हाथ उठें यारां
चौखट का दिया हूँ रौशनी कर ही जाऊंगा
गजब की अभिव्यक्ति. बढ़िया रचना आभार.
बहुत सुन्दर.
खूब बहुत खूब.......
दिल से आती हुई सदा जो नश्तर बनकर चुभ भी गया दिल के दरो दीवार पे!
चाँद लम्हों की मोहलत तो दे मुझे यारां
मुरीद हूँ आसमान का मै भी चाँद की तरह
waah...waah
kya baat hai
bahut khoob
shubh kamnayen
खूब बहुत खूब.
aapki likhi rachna mujhe bahut bahut bahut pasand aayi
बहुत सुन्दर रचना है....
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया...
shyad apne sab kuch to kah diya..
beautiful ji....
चंद लम्हों की मोहलत तो दे मुझे यारां
मुरीद हूँ आसमान का मै भी चाँद की तरह
... मैं भी हूँ... इन पंग्तियों का तो क्या मुझे भी दम तोड़ना होगा?
सच्चे दिल की दुआ कुबूल होती है.....
बहुत खूबसूरत एहसास और अभिव्यक्ति
बधाई!
"मुरीद हूँ आसमान का मै भी चाँद की तरह
कि झील में गिरकर भी बुझता नही यारां"
ये दो मिस्रे हैं या कयामत का आगाज़...?
★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
प्रत्येक बुधवार रात्रि 7.00 बजे बनिए
चैम्पियन C.M. Quiz में |
★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
क्रियेटिव मंच
वाह!सुन्दर प्रस्तुति....बहुत ही अच्छी लगी ये रचना.....
सर उठा कर लहरों ने मदद को पुकारा था
किनारे पर आकर दम तोड़ गयीं यारां
Renu ji,
Bahut khuubasoorat panktiyan--dil ko chhuune vaalee.
hemant kumar
sachhe dil ki dua qubool hoti hai,sajde mein sir jhuke ya dua mein haath uthhe..bahut geri baat hai Renuji.Aplke shaayeri lajawaab hai.
Lagta hai dollower banna padega.
Shubhkaamnaayein.
चौखट का दिया हूँ रौशनी कर ही जाऊंगा
वाह क्या बात कही है आपने....
सुलग रहा है दिल उठ रहा है धुआं
दरवाजा खोल दे या आग बुझा दे यारां
jawaab nahi aapki in panktiyon ka..
sadhuwaad...
मुरीद हूँ आसमान का मै भी चाँद की तरह
कि झील में गिरकर भी बुझता नही यारां
सर उठा कर लहरों ने मदद को पुकारा था
किनारे पर आकर दम तोड़ गयीं यारां
बेमिसाल.
आपके ब्लॉग पर आना सुखद रहा.
ग़ज़ल कुछ कहते हैं हम भी
nice poem
liked it
dhanyavd renu ji, aapki suksham soch aapke har shabad se jhalkti hai....man ko bahut skoon mila....
Post a Comment