एक सबब मरने का , एक तलब जीने की , चाँद पुखराज का , रात पश्मीने की ...
तपता रेगिस्तान ,खामोश गलियां ,सुनसान मकान ,बस पांवों के ,चंद निशान,पत्थर के बुत ,गूंगी ज़बान ।भटकती मृग तृष्णा ,भटकता जहान ,बोलता वीराना ,सुनते मकान ,फैली भयावहता ,कांपा श्मशान ।
बहुत खूब।दहशतगर्दी का दामन क्यों थाम लिया इन्सानों ने।धन को ही परमेश्वर माना अवसर चुनना सीख लिया।।सादर श्यामल सुमन 09955373288 www.manoramsuman.blogspot.comshyamalsuman@gmail.com
सही परिभाषित किया.
BOLTE VERANA,SUNTE MAKAAN...sahi chitran kiya 'aantakvaadf'ka aapne...
बहुत खूब.बहुत अच्छी कविता .
very good, well said
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5 comments:
बहुत खूब।
दहशतगर्दी का दामन क्यों थाम लिया इन्सानों ने।
धन को ही परमेश्वर माना अवसर चुनना सीख लिया।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
सही परिभाषित किया.
BOLTE VERANA,SUNTE MAKAAN...sahi chitran kiya 'aantakvaadf'ka aapne...
बहुत खूब
.
बहुत अच्छी कविता .
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