pukhraaj
एक सबब मरने का , एक तलब जीने की , चाँद पुखराज का , रात पश्मीने की ...
Wednesday, January 18, 2017
कॉफी का मग
कुछ किताबें
थोड़ी परछाइयां
और शाम का साया ...
इन सबके छुप कर चले आते हो तुम .....
Friday, January 13, 2017
ट्रे में रखे कॉफी के कप से उठता धुंआ
आज फिर किसी का अरमान जला हो जैसे ....
ख्यालों में डूबी रहीं सिसकियाँ
...बादल को भी ग्रहण लगा हो जैसे
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