रात डाकिया बनकर आती है ,
प्यार के इन्द्रधनुष वाला
ख़त तुम्हारा लेकर ,
जो लिखा था शाम को तुमने
और मेज़ पर ही छोड़ आये थे ....
ये रंग हैं या लफ्ज़ तुम्हारे
हया से आते जाते हैं ,
ख्वाब बनकर सुनहरा ये
चांदनी रात में आते है ....
रात ढलेगी होगा उजाला
गुलमोहर ये बन जायेंगे ,
चुन चुन कर उँगलियों से
3 comments:
रात ढलेगी होगा उजाला
गुलमोहर ये बन जायेंगे ,
चुन चुन कर उँगलियों से
घर अपने ले आयेंगे ....
बहुतखूब ! मृदु भावों की सरस प्रस्तुति हेतु बधाई ........
thanx sandeep ji
बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
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