एक लंबे अन्तराल के बाद आज ब्लॉग को पढ़ना अच्छा लग रहा है ...डॉक्टर के परामर्श के अनुसार बेड से ख़ुद को जकड लिया था ...उफ़ कितना मुश्किल ये आराम करना भी ....सारा दिन फ़ोन पर लोगों को अपनी सलामियत की ख़बर देना और आने जाने वालों के सामने अपना बीमार चेहरा दिखाना मुझे बिल्कुल पसंद नही ... इसी बीच मेरी कहानी " घुटन " प्रोपर्टी एक्सपर्ट मैगजीन में प्रकशित हो कर आ गई जिसका कुछ अंश यहाँ मौजूद है ...
तेज बौछार के बीच अनंत की कार भीगी हुयी सड़क पर दौड़ती जा रही थी , पर उसकी जिन्दगी तो जैसे थम ही गई थी ... कार के वाईपर विंड स्क्रीन पर तेज तेज घूमते हुए सारा पानी नीचे गिरा देने को बेताब थे , पर कामयाब नहीं हो रहे थे...पानी ही इतना पड़ रहा था ...वाईपर जितना अपनी अंजुली में पानी को समेट कर फेंकता , फ़िर उतना पानी ऊपर से आ गिरता ...अनंत को लग रहा था की उसके आंसू बारिश का रूप धर कर आसमान की आंखों से गिर रहे हों ...वह तो चाह कर भी नहीं रो पा रहा था की कहीं कोई उसे देख न ले ...वैसे तो दिल्ली , मुंबई जैसे बड़े शहरों में किसी को किसी के गम से कोई वास्ता नहीं होता ...फ़िर भी वो किसी गैर के सामने रोना नहीं चाहता था ...वह कार को एक तरफ़ रोक कर फुटपाथ पर राखी हुयी बेंच पर बैठ गया ...तदाताड़ पड़ती बूंदों ने उसे एकदम गीला दिया था पर उसे इसकी परवाह नहीं थी ...शायद इस ठंडे पानी और ठंडी हवा से ही उसके सुलगते दिल को राहत मिल जाए और बरसात में उसका भीगा चेहरा देखकर कोई जान भी नहीं पायेगा की उसके आंसुओं ने इस बरसात को खारा बना दिया है ...एक तूफ़ान उसके अन्दर जन्म ले चुका था ...जिससे उसकी पूरी जिन्दगी में हलचल सी मच गई थी उसके ह्रदय की चीख उसके कानो तक आ पहुँची थी ...पता नहीं ये शोर अन्दर के तूफ़ान का था या बाहर का पर उसका जिम्मेदार तो वह स्वयं ही था ...ये हलाहल तो उसने स्वयं ही पैदा किया था ...उसे याद आ रहा था वह मनहूस दिन जब .............
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पेज नम्बर ९४ -९५ पर आगे की कहानी पढ़ सकते हैं....
15 comments:
अदभुत... बेहतरीन सामग्री के लिये बधाई...
बहुत भावमय कहानी है आगे पढते हैं
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BEEMAAR Ho.. KYA HUA G
GET WELL SOON
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Congratulation ... its a good begining
aapko is prakashan hetu badhai...
...ap aisa likhti hain, lagta hai ki aap gulzaar se inspired hain...
...main bhi hoon !!
aap pukhraaj to main ravi paar...
आपके स्वास्थ्य की बेहतरी की कामनाये हैं .
बहुत दिनों से अनुपस्थिति का सबब आज ही समझ आया है. कहानी का आरम्भ पढ़ लिया है किन्तु पेज 14 और 15 खुल नहीं रहा फिर से कोशिश करूँगा .
khani boht khoobsurati se aarambh hoti hai..magar aage nahi pad payee..
मुआ वायरल ऐसा ही है .इन दिनों जिस घर में जाता है कई रोज तक निकलता नहीं...साथ में सारी एनर्जी खींच लेता है ...कुछ पेज खुलने में कोताही बरत रहे है .फिर आज़मायेगे ...
Swine flu....bahut khatarnak hota hai...! get well soon!
वही तो मैं कहूँ कि आप कहाँ हो....शिघ्र स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनायें...कहानी बाद में आकर पढ़ते हैं...शुरूआत तो बा~म्ध रही है
aap sabhi ki shubhkaamnyon ke liye shukriya ...pl read the story on page no. "94 and 95"
it is 94 , 95 not 14 ,15
ईश्वर आपको स्वास्थ्य दे ! प्रकाशन हेतु बधाई ,आगे पढता रहूगा जी ...........
क्या कहूँ ? पहली बार आयी हूँ आपके ब्लॉग पे ..एक आग-सी जल रही..एक घुटन में साँसे रुक रुक के चल रहीं हैं॥!
काफ़ी रचनाएँ पढीं..यही महसूस हुआ..
adbhut rachana .aap swasthya rahe yahi kaamna hai .
ek adabhoot rachana
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