वो नही हंसती ....बिल्कुल नही हंसती ...कभी आप उसे हँसते हुए देख ही नही सकते .,....बल्कि मै तो कहूँगी की आप उसे देखें तो कहेंगे की इसे किस बात का दुःख है ....सब कुछ तो है उसके पास ...क्या सारी दुनिया के दुखों का ठेका इसी ने ले रखा है ....उसके सामने आप कुछ भी हँसी मजाक कर लें पर मजाल है जो कभी उसके चेहरे पर हँसी के दो कतरे भी उभर आयें ....क्या नहीं है इसके पास ...अच्छी खासी बैंक में नौकरी करती है , अपना मकान है .... वंही किसी से शादी कर घर क्यों नही बसा लेती ...कोई रोकने टोकने वाला तो है नही ....
हाँ ......
यही तो दुःख है उसे ...अब सही समझे आप.... कोई रोकने टोकने वाला नही है ....मम्मी - पापा ..दोनों में से कोई नही ....काश! कोई उसके सर पर हाथ रखने वाला होता ...क्या ग़लत है , क्या सही , बताने वाला होता ...पर ...
चाहने से क्या होता है ....
उनके बाद जिन भाई बहन का सहारा दिया भगवान् ने ..उनके घर बसा कर उसने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली ....
भाई अपने हिस्से का मकान ले कर अपने परिवार के साथ खुशी से रहता है ...अब ये मत पूछना उसके हिस्से में क्या है .....क्यूंकि वहां दर्द के सिवा कुछ नही मिलेगा ....चार दीवारों के साए जब आपस में बातें करते हैं तो घर और भी भयानक लगने लगता है .... बाहर की दुनिया ॥! हूँ ॥! पूरा गाँव ही लुटेरा लगता है ....
कोई तो होता जो हक से कहता , ये लड़का मैंने तेरे लिए पसंद किया है , तुझे इसी से शादी करनी है ....तब शायद उसे आपत्ति होती ....पर अब उसे किसी बात से आपत्ति नहीं है ....
अब समझे आप वो क्यूँ नही हंसती ...?
पर ऐसा नहीं है वो कभी हँसी ही नहीं ....उसने हसीं को देखा ही नहीं , भरपूर जिया भी है ...जब वो मेरे साथ पढ़ती थी ...जी हाँ हम दोनों साथ साथ पढ़े हैं ....हाँ तो ....जब हम पढ़ते थे तो वो बात बात पर खिलखिला कर हंसा करती थी ....बल्कि ख़ुद ही ऐसी बातों की शुरुवात किया करती थी की सब सहेलियां हंस पड़ती थी ....सात आठ लड़कियों का ग्रुप बना कर लीडर बनी फिरती ....एक बार तो प्रिंसिपल के अगेंस्ट आवाज़ उठाई ...वो आगे आगे चल रही थी ....
हाँ ......
यही तो दुःख है उसे ...अब सही समझे आप.... कोई रोकने टोकने वाला नही है ....मम्मी - पापा ..दोनों में से कोई नही ....काश! कोई उसके सर पर हाथ रखने वाला होता ...क्या ग़लत है , क्या सही , बताने वाला होता ...पर ...
चाहने से क्या होता है ....
उनके बाद जिन भाई बहन का सहारा दिया भगवान् ने ..उनके घर बसा कर उसने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली ....
भाई अपने हिस्से का मकान ले कर अपने परिवार के साथ खुशी से रहता है ...अब ये मत पूछना उसके हिस्से में क्या है .....क्यूंकि वहां दर्द के सिवा कुछ नही मिलेगा ....चार दीवारों के साए जब आपस में बातें करते हैं तो घर और भी भयानक लगने लगता है .... बाहर की दुनिया ॥! हूँ ॥! पूरा गाँव ही लुटेरा लगता है ....
कोई तो होता जो हक से कहता , ये लड़का मैंने तेरे लिए पसंद किया है , तुझे इसी से शादी करनी है ....तब शायद उसे आपत्ति होती ....पर अब उसे किसी बात से आपत्ति नहीं है ....
अब समझे आप वो क्यूँ नही हंसती ...?
पर ऐसा नहीं है वो कभी हँसी ही नहीं ....उसने हसीं को देखा ही नहीं , भरपूर जिया भी है ...जब वो मेरे साथ पढ़ती थी ...जी हाँ हम दोनों साथ साथ पढ़े हैं ....हाँ तो ....जब हम पढ़ते थे तो वो बात बात पर खिलखिला कर हंसा करती थी ....बल्कि ख़ुद ही ऐसी बातों की शुरुवात किया करती थी की सब सहेलियां हंस पड़ती थी ....सात आठ लड़कियों का ग्रुप बना कर लीडर बनी फिरती ....एक बार तो प्रिंसिपल के अगेंस्ट आवाज़ उठाई ...वो आगे आगे चल रही थी ....
याद करके मुझे आज भी हँसी आ जाती है ...प्रिंसिपल थी हमारी कड़क ...रोबदार ....उनको देखते ही सबकी सिट्टी -पिट्टी गुम ...एक आवाज़ में सब की सब अन्दर क्लास में ....फ़िर अन्दर जाकर हम सब खूब हँसे ...
पर आज उसे बिल्कुल हँसी नहीं आती ......आप उसका नाम जानने को उत्सुक होंगे ...पर माफ़ करियेगा ...मै उसका नाम नही बताऊंगी .....बस वो जहाँ भी रहे खुश रहे ....आबाद रहे ....
1 comment:
beautiful story...
i will also pray for her...
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