Thursday, June 24, 2010

ITS RAINING .....बारिश हो रही है ...


आज अखबार पर धूप का साया था

मगर गुड न्यूज़ भी लाया था
मानसून आने वाला है सून

पानी मिला है ऑन दा मून

दोनों खबर पढ़कर

दिल गार्डन गार्डन हो गया

किसी को हो न हो

चम्पू जी को सप्नेरिया हो गया

कल बादल छाएंगे

दुःख नहीं पानी बरसाएंगे

जब बाल्टी खाली होगी बादल की

चाँद पर जाकर नहायेंगे

चाँद के आँगन के तालाब में

कैसा नशीला पानी होगा

चाँद का गिलास होगा और

गिलास में चाँद दीखता होगा
सोच सोच कर चम्पू जी का मन

इधर उधर दोड़ने लगा

हाथ में पकड़ा था बादल

बूँद बूँद कर बरसने लगा

Wednesday, June 2, 2010


धुआं धुआं हो गयी नज़र
तेरे इंतज़ार को पाले ने मारा है ,

एक ज़लज़ला उठा है फिर
मलबे तले जीवन हारा है ,

अंतहीन तलाश है जाऊं कहाँ
लोग कहते हैं नाकारा है ,

तेरी यादों को भूलने के दर्द ने
लकीरों में तेरा नाम उभारा है ,

सांसों को धड़कन की फ़िक्र है
तभी तो तुम्हारा नाम पुकारा है ,

फलसफा तेरी मोहबत्त का
आईने पर पत्थर मारा है ,

सांसें थामने की कोशिश भर
सुबह पे अँधेरा फिसला है ,

औंधे मुंह सुबह लौटी है
आरिज़ पर सन्नाटा बिखरा है ,

ज़ख्म सूख ही जायेंगे
वक़्त रेत पर फिसला है